बूढा॰ पेड॰
बूढा॰ पेड॰
मदनमोहन तरुण
बूढा॰ पेड॰
ठूँठा पेड॰
जीवन से रूठा पेड॰
भरी हरियाली में
व्यंग्य-सा खडा॰ है।
कवि इसे आँकेगा
शब्दों में साधेगा
क्यों कि
वह जानता है
कि
ऋतुओं का राजा
वसंत
सदा इन्हीं
डालियोँ की
टेढी॰-मेढी॰
पगडंडियों से ही आता है।
(मदनमोहन तरुण की पुस्तक
'मै जगत की नवल गीता -दृष्टि'
से साभार )
मदनमोहन तरुण
बूढा॰ पेड॰
ठूँठा पेड॰
जीवन से रूठा पेड॰
भरी हरियाली में
व्यंग्य-सा खडा॰ है।
कवि इसे आँकेगा
शब्दों में साधेगा
क्यों कि
वह जानता है
कि
ऋतुओं का राजा
वसंत
सदा इन्हीं
डालियोँ की
टेढी॰-मेढी॰
पगडंडियों से ही आता है।
(मदनमोहन तरुण की पुस्तक
'मै जगत की नवल गीता -दृष्टि'
से साभार )
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